1 00:00:02,000 --> 00:00:04,000 ये 'ईएसओ' प्रसारण है. 2 00:00:04,000 --> 00:00:07,500 अग्रणी विज्ञान और 'ईएसओ' के नेपथ्य की झलकियाँ. 3 00:00:07,500 --> 00:00:10,000 'ईएसओ' यानि द यूरोपीयन सदर्न आब्जर्वेटरी, 4 00:00:10,000 --> 00:00:17,000 ब्रह्माण्ड को टटोलते हुए हमारे सूत्रधार डा० जो लिस्क बनाम डा० जे के साथ. 5 00:00:21,000 --> 00:00:23,000 हैलो, स्वागत है आपका 'ईएसओ' प्रसारण के इस विशेष अंक में. 6 00:00:23,000 --> 00:00:27,000 ये आपको 'ईएसओ' की अक्टूबर में पचासवीं वर्षगाँठ तक ले जायेगा. 7 00:00:27,000 --> 00:00:31,000 हम आपके लिए आठ विशेष अंक लेकर प्रस्तुत होंगे जिनमें आप ... 8 00:00:31,000 --> 00:00:35,000 'ईएसओ' के दक्षिण के आकाश के अन्वेषण के विगत पचास गौरवशाली वर्षों की गाथा देखेंगे 9 00:00:40,000 --> 00:00:43,000 यह कहानी किसी वीरगाथा से कम नहीं 10 00:00:48,000 --> 00:00:53,000 यह कहानी ब्रह्माण्ड के प्रति हमारी जिज्ञासा, साहस और धीरज की ... 11 00:00:56,000 --> 00:01:01,000 और ये कि क्यों यूरोपवासी तारे देखने के लिए दक्षिण गए. 12 00:01:50,000 --> 00:01:54,000 जी हाँ दक्षिण. 13 00:01:55,000 --> 00:02:00,000 स्वागत है आपका 'ईएसओ' यानि यूरोपीयन सदर्न आब्जेर्वेटरी में. 14 00:02:03,000 --> 00:02:06,000 पचास साल पुरानी पर पहले से भी अधिक जीवंत. 15 00:02:12,000 --> 00:02:15,000 'ईएसओ' यूरोप का तारों की दुनिया का प्रवेश द्वार है. 16 00:02:16,000 --> 00:02:19,000 यहाँ पन्द्रह देशों के खगोलशास्त्री 17 00:02:19,000 --> 00:02:21,000 हाथ मिलाकर ब्रह्माण्ड के रहस्यों के पटाक्षेप में जुटे हैं. 18 00:02:22,500 --> 00:02:23,500 कैसे? 19 00:02:23,500 --> 00:02:27,000 पृथ्वी की सबसे बड़ी दूरबीनें बनाकर. 20 00:02:27,000 --> 00:02:29,000 सुग्राही कैमरे और अन्य संयंत्र बनाकर. 21 00:02:30,000 --> 00:02:32,000 आकाश के चप्पे-चप्पे की पड़ताल कर. 22 00:02:34,000 --> 00:02:37,000 इस कार्य में उन्होंने निकट और दूर के पिंडों को देखा, 23 00:02:37,000 --> 00:02:40,000 सौर मंडल के भ्रमणकारी धूमकेतुओं से लेकर 24 00:02:40,000 --> 00:02:44,000 दिक्काल की बाहरी सीमा पर दूरस्थ मंदाकिनियों तक, 25 00:02:44,000 --> 00:02:49,000 जिसने हमें नयी दृष्टि दी और ब्रह्माण्ड के अभूतपूर्व दृश्य दिखाए. 26 00:03:20,500 --> 00:03:23,000 एक ऐसा ब्रह्मांड जो पहेलियों और रहस्यों से ओतप्रोत है. 27 00:03:24,000 --> 00:03:26,000 और अलौकिक सौंदर्य. 28 00:03:27,500 --> 00:03:29,500 सुदूर चिली के पर्वत शिखरों पर, 29 00:03:29,500 --> 00:03:32,000 यूरोपीय खगोलशास्त्री तारों को मानों छूने का प्रयास कर रहे हों. 30 00:03:32,500 --> 00:03:33,500 पर चिली क्यों? 31 00:03:34,000 --> 00:03:37,000 इतना दूर दक्षिण जाने की क्या जरूरत थी? 32 00:03:41,000 --> 00:03:45,000 यूरोपीयन सदर्न आब्जेर्वेटरी का मुख्यालय जर्मनी के गार्चिंग में है. 33 00:03:49,000 --> 00:03:53,000 पर यूरोप से आकाश का केवल एक ही भाग देखा जा सकता है. 34 00:03:53,000 --> 00:03:57,000 इसकी पूर्ति के लिए दक्षिण जाना ही पड़ता है. 35 00:04:06,000 --> 00:04:10,000 पिछली कई सदियों तक दक्षिण के आकाश के मानचित्रों में व्यापक रिक्त स्थान थे. 36 00:04:10,000 --> 00:04:13,000 आकाश का अज्ञात भू-भाग. 37 00:04:15,000 --> 00:04:16,500 1595 में, 38 00:04:17,000 --> 00:04:21,000 पहली बार जब डच व्यापारी ईस्ट इंडीज़ की समुद्री यात्रा पर निकले 39 00:04:27,000 --> 00:04:31,000 तो रात में पीटर केज़र और फ्रेडरिक ड हाउटमैन नामक नाविकों ने 40 00:04:31,330 --> 00:04:36,390 दक्षिण के आकाश के 130 से अधिक तारों की स्थितियां नापीं. 41 00:04:43,000 --> 00:04:48,000 शीघ्र ही आकाश के ग्लोब और मानचित्रों में बारह नए तारामंडल दर्शाये जाने लगे, 42 00:04:48,000 --> 00:04:52,000 जिन्हें इससे पहले किसी यूरोपवासी ने नहीं देखा था. 43 00:04:54,000 --> 00:04:58,000 ब्रितानी लोगों ने सर्वप्रथम एक खगोलीय सीमान्त चौकी बनाई 44 00:04:58,000 --> 00:04:59,000 दक्षिणी गोलार्ध में. 45 00:05:00,000 --> 00:05:05,000 सन् 1820 में केप-ऑफ़-गुड-होप में रॉयल आब्जेर्वेटरी स्थापित हुयी. 46 00:05:06,000 --> 00:05:10,500 कुछ ही समय बाद जॉन हर्शेल ने अपनी निजी आब्जेर्वेटरी बनाई 47 00:05:10,500 --> 00:05:13,000 दक्षिण अफ्रीका के प्रसिद्द टेबल पर्वत के समीप. 48 00:05:16,000 --> 00:05:17,000 उफ़, क्या नज़ारा था! 49 00:05:17,000 --> 00:05:22,000 सर पर काला आकाश, चमकीले तारक गुच्छ और तारों के बादल. 50 00:05:24,000 --> 00:05:27,000 कोई ताज्जुब नहीं कि शीघ्र ही हार्वर्ड, येल और लीडन कि वेधशालाओं ने भी 51 00:05:27,000 --> 00:05:31,000 यही किया, अपनी अपनी दक्षिणी चौकियां बनायीं. 52 00:05:31,000 --> 00:05:34,000 पर दक्षिण के आकाश के अनुसंधान के लिए 53 00:05:34,000 --> 00:05:38,000 अब भी बहुत साहस, उत्कंठा और धैर्य की आवश्यकता थी. 54 00:05:43,000 --> 00:05:45,500 पचास साल पहले तक, 55 00:05:45,500 --> 00:05:50,000 विश्व की अधिकांश बड़ी दूरबीनें भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित थीं. 56 00:05:51,000 --> 00:05:53,000 तो आखिर दक्षिण के आकाश को इतनी महत्ता क्यों दी गयी? 57 00:05:55,000 --> 00:05:59,000 सबसे पहले तो इसलिए कि ये एक अनजाना क्षेत्र था. 58 00:05:59,500 --> 00:06:02,000 आप यूरोप में बैठे बैठे पूरा आकाश नहीं देख सकते. 59 00:06:03,000 --> 00:06:07,000 इसका प्रमुख उदाहरण है हमारी आकाशगंगा मन्दाकिनी का केन्द्र. 60 00:06:07,000 --> 00:06:10,000 यह भाग उत्तरी गोलार्ध से लगभग नहीं दिखाई देता, 61 00:06:10,000 --> 00:06:12,000 पर दक्षिण में ये भाग सिर के ऊपर से गुज़रता है. 62 00:06:14,000 --> 00:06:16,000 और फिर वे मैगेलन के बादल - 63 00:06:16,280 --> 00:06:19,600 हमारी आकाशगंगा मन्दाकिनी की दो छोटी सहचरी मंदाकिनियाँ. 64 00:06:20,500 --> 00:06:25,000 उत्तरी गोलार्ध से अदृश्य पर भूमध्य रेखा के दक्षिण में एकदम सुस्पष्ट. 65 00:06:26,000 --> 00:06:27,000 और अंततः, 66 00:06:27,000 --> 00:06:31,300 यूरोपीय खगोलविद प्रकाश प्रदूषण एवं बुरे मौसम से भी पीड़ित थे. 67 00:06:32,000 --> 00:06:34,500 ऐसा लगा दक्षिण जाने से इन समस्याओं से निज़ात मिल जायेगी. 68 00:06:38,000 --> 00:06:42,000 हालैंड की प्रसिद्ध इस्सेल्मेर झील में 1953 में 69 00:06:42,000 --> 00:06:44,500 नौका विहार करते समय 70 00:06:44,500 --> 00:06:47,500 जर्मन/अमेरिकन खगोलशास्त्री वाल्टर बादे 71 00:06:47,500 --> 00:06:50,000 और हालैंड के खगोलशास्त्री येन ऊर्ट ने 72 00:06:50,000 --> 00:06:53,000 अपने साथियों को दक्षिणी गोलार्ध में 73 00:06:53,000 --> 00:06:55,000 यूरोपीय वेधशाला के सपने के बारे में बताया. 74 00:07:00,000 --> 00:07:04,500 किसी यूरोपीय देश के लिए अकेले अमरीका से प्रतिस्पर्धा करना संभव न था. 75 00:07:04,500 --> 00:07:06,500 पर शायद मिलकर वे ऐसा कर सकते. 76 00:07:07,000 --> 00:07:12,000 सात महीने बाद, छः देशों के बारह खगोलशास्त्री यहाँ मिल बैठे - 77 00:07:12,000 --> 00:07:14,500 - लीडन विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट सभागार में. 78 00:07:14,500 --> 00:07:17,000 उन्होंने एक वक्तव्य पर हस्ताक्षर किये, 79 00:07:17,000 --> 00:07:22,000 अपनी यह इच्छा बताते हुए कि दक्षिण अफीका में यूरोपीय वेधशाला स्थापित हो. 80 00:07:23,000 --> 00:07:25,000 इसने 'ईएसओ' के जन्म का मार्ग प्रशस्त किया. 81 00:07:26,000 --> 00:07:29,000 पर ज़रा रुकिए! ... दक्षिण अफीका? 82 00:07:30,000 --> 00:07:31,500 हाँ, यह ठीक ही था. 83 00:07:31,500 --> 00:07:37,000 दक्षिण अफीका में पहले से ही केप वेधशाला थी और 1909 के बाद, 84 00:07:37,000 --> 00:07:40,000 जोहान्सबर्ग स्थित ट्रांसवाल वेधशाला. 85 00:07:40,000 --> 00:07:44,500 लीडन वेधशाला ने भी दक्षिण में अपनी पहचान हार्त्बीस्पूर्ट में बना रखी थी. 86 00:07:47,000 --> 00:07:49,000 सन् 1955 में, 87 00:07:49,000 --> 00:07:54,500 खगोलविदों ने इन स्थानों पर परीक्षण उपकरण लगाये - 88 00:07:54,500 --> 00:08:01,000 ग्रेट करू में जीकोएगात और ब्लूमफोंटेन में ताफेल्कोप्जे पर. 89 00:08:02,000 --> 00:08:05,000 पर मौसम का मिजाज़ ठीक न था. 90 00:08:06,000 --> 00:08:12,000 और फिर 1960 में उत्तरी चिली के ऊबड़ खाबड़ पथरीले क्षेत्र पर ध्यान गया. 91 00:08:13,000 --> 00:08:16,000 इस बीच अमेरिकन खगोलविद भी दक्षिणी गोलार्द्ध में 92 00:08:16,000 --> 00:08:18,500 अपनी वेधशाला बनाने का सपना सँजो रहे थे. 93 00:08:18,500 --> 00:08:25,000 कठिन घुड़सवारी के अभियानों ने यह सिद्ध कर दिया कि ये चिली से बेहतर है. 94 00:08:26,000 --> 00:08:30,000 फिर 1963 में पासा सही पड़ा. वह उपयुक्त स्थान चिली ही है. 95 00:08:30,000 --> 00:08:33,000 छः मास बाद सर्रो ला सिला को 96 00:08:33,000 --> 00:08:36,000 भविष्य की यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के लिए चुना गया. 97 00:08:36,000 --> 00:08:40,000 अब 'ईएसओ' कोई निरा सपना नहीं रह गयी थी. 98 00:08:41,000 --> 00:08:47,500 अंत में, पांच यूरोपीय देशों ने 'ईएसओ' करार पर हस्ताक्षर किये – दिन था – 5 अक्टूबर 1962- 99 00:08:47,500 --> 00:08:53,000 यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला का प्रामाणिक जन्मदिन. 100 00:08:53,000 --> 00:08:56,500 बेल्जियम, जर्मनी, फ्राँस, नीदरलैंड्स और स्वीडन 101 00:08:56,500 --> 00:09:01,000 ने दक्षिणी तारों की खोज के लिए साथ में काम करने की शपथ ली. 102 00:09:03,000 --> 00:09:07,000 इसके लिए ला सिला और उसके आसपास का क्षेत्र चिली की सरकार से खरीदा गया. 103 00:09:08,000 --> 00:09:10,000 निपट सुनसान इलाके में यकायक एक सड़क निकल आयी. 104 00:09:11,000 --> 00:09:16,500 'ईएसओ' की प्रथम दूरबीन ने रोटेरडम की एक स्टील फैक्टरी में आकार लेना शुरू किया. 105 00:09:18,000 --> 00:09:21,000 और दिसम्बर 1966 में, 106 00:09:21,000 --> 00:09:26,000 यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला ने अपनी पहली आँख आकाश पर खोली. 107 00:09:26,000 --> 00:09:32,000 यूरोप ब्रह्माण्ड की एक महान खोजयात्रा पर अग्रसर हो चला था. 108 00:09:37,000 --> 00:09:40,500 इसी के साथ मैं डा० जे 'ईएसओ' प्रसारण के इस विशेष अंक से आपसे विदा ले रहा हूँ. 109 00:09:41,000 --> 00:09:44,000 फिर मिलेंगे ब्रह्मांड की खोज के एक और दिलचस्प अभियान के साथ. 110 00:09:47,000 --> 00:09:48,500 'ईएसओ' प्रसारण 'ईएसओ' द्वारा प्रस्तुत किया गया, 111 00:09:48,500 --> 00:09:50,000 'ईएसओ' यानि यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला. 112 00:09:51,000 --> 00:09:52,000 'ईएसओ', यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला, 113 00:09:52,000 --> 00:09:54,000 खगोलशास्त्र की अग्रणी अंतर्शासकीय विज्ञान और तकनीकी संस्था है, 114 00:09:54,000 --> 00:09:56,000 जो सन्नद्ध है विश्व की भूतल स्थित सबसे अत्याधुनिक दूरबीनें बनाने में. 115 00:09:59,000 --> 00:10:05,000 प्रतिलेखन 'ईएसओ', अनुवाद - Piyush Pandey पीयूष पाण्डेय, JNMF, इलाहाबाद 116 00:10:18,000 --> 00:10:21,000 अब जब आप 'ईएसओ' के साथ जुड़ चुके हैं, 117 00:10:23,000 --> 00:10:27,000 हबल के साथ इस दुनिया के परे चलें, 118 00:10:29,000 --> 00:10:32,000 हबल प्रसारण में आप पाएंगे नवीनतम खोजों की झलकियाँ 119 00:10:32,000 --> 00:10:36,000 विश्व की सबसे प्रख्यात एवं सम्मानित अंतरिक्ष दूरबीन 120 00:10:37,500 --> 00:10:42,000 नासा/ईएसए की हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गयी.